Thursday 25 June 2015

मुंबई या स्विमिंग पूल?!

आज सुबह जब गुड्डू नींद से उठे तो वे ये नहीं जानते थे कि दिन का सूरज अठखेलियाँ करने को आएगा. दरअसल पिछले कई दिनों से अपनी स्वीमिंग क्लासेज जिसे हम हिंदी में तैराकी के अभ्यास की कक्षा कहते हैं, को अलाली की वजह से टाल रहे थे गुड्डू. एक IT कंपनी के होनहार तथा सताए हुए एम्प्लोयी, गुड्डू, वर्क लोड का हवाला देते हुए ये बहाने बाजी कर रहे थे. आज सुबह जैसे ही गुड्डू जी ने कमरे का दरवाजा खोला तो धरधराते हुए पानी ने जैसे उनकी सात पुश्तों को नींद से जगा डाला.

'वाटर-वाटर एवरीव्हेयर, बट नॉट ड्राप तो ड्रिंक', ये कहावत तो भली भांति जानते थे गुड्डू भाई लेकिन इस समय TO ड्रिंक नहीं TO मूत्र विसर्जन को व्यथित हो रहे थे. चारों तरफ पानी ही पानी. बाथरूम में चले तो जाएँ, पर अगर पैर संडास में फसकर मुरच गया तो तौबा रे तौबा; या फिर विसर्जन के समय कोई सर्प तैरता हुआ पैरों को लिपट ले तो ईश्वर ही बचाए जान. परेशान, हलाकान और खुदको असहाए सा महसूस कर रहे गुड्डू ने आखिर भगवान को याद किया.

भगवान को याद करने की देर ही क्या थी कि अचानक गुड्डू जी का फ़ोन टुनटुना उठा. फ़ोन की स्क्रीन पर प्रोजेक्ट मैनेजर की प्रोफाइल पिक्चर ऊपर-नीचे गोते ले रही थी. यहाँ भगवान को याद किया पर ये तो दैत्य ने दर्शन दे दिए. जरा साहस भर गुड्डू जी ने अपनी लघुशंका को भुला कर स्क्रीन पर चल रहे हरे रंग के आइकॉन को रगड़ा. रगड़न हुई या वो बिस्फोट था, दूसरी तरफ से कोई आदमी गुड्डू जी की माँ-बहनो को याद करने लगा!

ये वाकिया कुछ देर यूँ ही चला फिर फ़ोन रखकर गुड्डू जी ने ज़रा आंह भरी, फिर तैराकी की कक्षा में सीखे हुए अभ्यास का चिंतन किया और जय श्री राम का नारा लगाकर वे स्विमिंग पूल बने उस मुंबई में छलांग लगा गए. और हर IT एम्प्लोयी के एक ही भगवान मिस्टर प्रोजेक्ट मैनेजर की राह को हो लिए. आखिर आज उनके तैराकी के अभ्यास में कोई अलाली चली...

PS : ऐसे कई गुड्डू हर साल मुंबई की बारिश में ऑफिस इत्यादि जाने को इस स्विमिंग पूल में छलांग लगाते हैं. कई तो मशक्कत कर अपने देवता मिस्टर प्रोजेक्ट मैनेजर तक पहुँच जाते हैं, पर कई ऐसे भी हैं जिन्हे तैराकी का अभ्यास होने के कारण हमारे असली देवता को भेंट चढ़ना पड़ता है . आप सबसे विनती है की इन् गुडडुओं के लिए प्रार्थनाएँ करें. क्यूँकि अर्जियाँ तो हम सालों से सरकार को लगा ही रहे हैं. इस बार शायद ये प्रार्थनाएँ ही इनकी जान बचा सकें!
~रोहित नेमा