Monday, 24 October 2016

चार आने!

चार आने, आनो के सिक्के चार.
सिक्के चार, सिक्कों के किस्से हज़ार.
जेब वही फटी, पर गुरूर बेशुमार.
और ये अधेड़ ज़िन्दगी, यूँ ही कट गई यार...

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